Shri Phagu Chauhan
         (Chancellor)
Prof Girish Kumar Choudhary
             (Vice Chancellor)
       Prof. Ajay Kumar Singh
           (Pro-Vice Chancellor)
Col Kamesh Kumar
           (Registrar)
Home Calendars Contact Us PU Mail
Authorities
Directory
Examinations
Results
Scholarships
Seminars & Conferences
Awards & Recognitions
Notifications
Recruitment / Appointment
Employees
Alumni
Gender Sensitization Cell
Grievance Cell
Placement Cell
Anti Ragging
Right to Information (RTI)
Right to Service (RTS)
Tenders
Budget
M O U
Centenary Year (1917-2017)
Annual Report
News Bulletin
Archives
National Service Scheme
P.U. Journal
Digital Learning
Downloads
SWAYAM
NPS CSRF FORM

मैथिली विभाग

पटना विश्वविद्यालय में मैथिली के अध्ययन-अध्यापन का मार्ग प्रशस्त करने में दरभंगा के तत्कालीन महाराजाधिराज डा0 सर कामेश्वर सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा; उन्होंने इनके अन्तर्गत ‘मैथिली विकास कोष’ की स्थापना की। फलतः यहाँ से मैथिली का पठन-पाठन स्वीकृत हुआ और विभाग की स्थापना हुई। 1938 ई॰ में मैथिली को एक ऐच्छिक विषय के रूप में मान्यता मिली। 1950 ई॰ में यह ऑनर्स एवं एम.ए. की परीक्षाओं में एक स्वतंत्र विषय के रूप में स्वीकृत हुआ। इसका श्रेय डा0 सिंह के अतिरिक्त लक्ष्मीकान्त झा, डा0 अमरनाथ झा (जिन्होंने 1935 ई0 में विेश्वविद्यालय की ‘मैथिली साहित्य परिषद’ के प्रथम अधिवेशन में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन के क्रम में विेश्वविद्यालय के अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया), कुमार गंगानंद सिंह, डा0 सुधाकर झा ‘शास्त्री’, डा0 सुभद्र झा, प्रो0 तत्रनाथ झा, भोलालाल दास इत्यादि महानुभावों को जाता है। मैथिली भाषा-भाषियों के इतर जिन महान हस्तियों ने विभाग की स्थापना में उल्लेखनीय योगदान किया उनमें प्रमुख डा0 बद्रीनाथ वर्मा, डा0 सच्चिदानंद सिन्हा, जाँच समिति के सदस्यद्वय – डा0 सुनीति कुमार चटर्जी एवं राय ब्रजराय कृष्ण, के.एन. बहल, विद्वत परिषद के तत्कालीन सदस्यद्वय – डा0 गणेश प्रसाद दूबे और डा0 वासुदेव नारायण तथा कला संकाय के तत्कालीन अध्यक्ष प्रो0 कलीमुद्दीन अहमद हैं। 1944 ई॰ में डा0 ‘शास्त्री’ के साथ पटना कॉलेज, पटना में मैथिली विभाग स्थापित हआ। वह ‘मैथिली विकास कोष’ की शोध-वृत्ति पर लंदन से 1934 ई॰ में पी.एच.डी. उपाधि प्राप्त कर पहले संस्कृत, हिंदी एवं बांग्ला के संयुक्त विभाग में संस्कृत के व्याख्याता नियुक्त हुए थे। 1948 ई॰ में दूसरे अध्यापक डा0 जयदेव मिश्र नियुक्त हुए और 1951 ई॰ में डा0 आनंद मिश्र ने योगदान किया। तब 1952 ई॰ में (स्नातकोत्तर) मैथिली विभाग की स्थापना हुई और डा0 ‘शास्त्री’ पहले विभागाध्यक्ष बनाये गये। विभाग में कुल अध्यापकों की संख्या – 04 (चार) हैं। इनमें विभागाध्यक्ष प्रोफेसर (डा0) वीरेंद्र झा के अतिरिक्त डा0 हीरा मंडल, डा0 सुधीर कुमार झा एवं डा0 जीबछ राम कार्यरत हैं। विभाग के पूर्ववर्ती छात्र श्री विभूति आनंद (1977-1979) को उनके मैथिली कथासंग्रह ‘काठ’ पर साहित्य अकादमी पुरस्कार 2006 ई॰ में प्राप्त हआ। विभाग के पूर्ववर्ती छात्र डा0 देवेंद्र झा (सत्र: 1962-1964) ने बांग्ला भाषा से अनूदित ‘बदलि जाइछ घरेटा’ पर और सेवानिवृत अध्यापक डा0 अमरेश पाठक ने हिंदी से अनूदित उपन्यास ‘तमस’ पर साहित्य अकादेमी का अनुवाद पुरस्कार प्राप्त कर विभाग का गौरव बढ़ाया। प्रो0 वीरेंद्र झा विभाग के अध्यक्ष हैं।

वर्तमान विभागाध्यक्ष – डॉ. अरुणा चौधरी



CAMPUS ACTIVITIES
 
RESEARCH / TRAINING
 
STUDENT CORNER
 
TEACHER CORNER
    
    
    
             
 
UPCOMING EVENTS