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हिंदी विभाग

स्नातकोत्तर हिंदी विभाग पटना विश्वविद्यालय के मानविकी संकाय का एक गौरवशाली अंग है। यह विभाग राष्ट्रीय धरोहर ऐतिहासिक महत्व के भवन “दरभंगा हाउस” के पूर्वी भाग के निचले तल्ले में अवस्थित है। इसमें अध्यक्षीय एवं शिक्षक प्रकोष्ठों के अतिरिक्त एक समृद्ध पुस्तकालय, वाचनालय, संगोष्ठी-कक्ष, अनेक व्याख्यानकक्ष, छोटे अभ्यास कक्ष एवं विभागीय कार्यालय अवस्थित हैं। सन् 2002 में हिंदी विभाग की अनुषंगी सहसंस्था के रूप में पत्रकारिता एवं जनसंचार में डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरु हआ। 2012 से यहाँ स्व-वित्तपोषित रूप में स्नात्कोत्तर वर्ग आयोजित होते हैं। यहाँ अनुभवी वरिष्ठ पत्रकार, मीडिया विशेषज्ञ और शिक्षाविद अतिथि शिक्षक के रूप में अध्यापन करते हैं। सामयिक मीडिया जगत में यहाँ के छात्र-छात्रा राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान अर्जित कर रहे हैं। इस संस्था के निदेशक अधिकृत रूप में पदेन विभागाध्यक्ष प्रो0 (डा0 शारदेंदु कुमार हैं) हिंदी भाषा-साहित्य में सर्वोच्च शिक्षण शोध के लिए संकल्पित यह संस्था ई0 सन् 1937 से विश्वविद्यालय के एक महत्वपूर्ण विभाग के रुप में स्वतंत्र रुप से कार्य करने लगी। तब से लेकर आज तक 25वें अध्यक्ष प्रो0 डा0 शारदेंदु कुमार की क्रियाशील सजग देखरेख में यह संस्था शिक्षण, शोध, संगोष्ठियों, विशिष्ट व्याख्यानों एवं साहित्यिक आयोजनों के लिए राष्ट्रीय ख्याति एवं यश अर्जित कर चुकी है। विगत् 80 वर्षों के कीर्तिशाली कार्यकाल में ख्यातिलब्ध विद्वान अध्यक्षों तथा अनेक मूर्धन्य शिक्षकों की सेवाएँ यह विभाग प्राप्त कर चुका है। भाषा, साहित्य, पत्रकारिता, समाज, संस्कृति और शिक्षण के क्षेत्रों में अपनी उल्लेखनीय सेवाओं और उपलब्धियों से प्रदेश और राष्ट्र में प्रतिष्ठा और कीर्ति अर्जित करने वाले शिक्षकों में आचार्य धर्मेंद्र ब्रह्मचारी शास्त्री, आचार्य नलिन विलोचन शर्मा, आचार्य देवेंद्र नाथ शर्मा, आचार्य केसरी कुमार, डा0 गोपाल राय, डा0 अनन्त लाल चौधरी, डा0 शोभा कान्त मिश्र, डा0 नंदकिशोर नवल, डा0 राम वचन राय, डा0 बलराम तिवारी, डा0 अमर कुमार सिंह, डा0 सुरेन्द्र प्रसाद यादव ‘स्निग्ध’, डा0 गोपेश्वर सिंह आदि प्रमुख हैं। विगत् 80 वर्षों में इस विभाग द्वारा समय-समय पर उच्च शिक्षा के क्षेत्र की तथा अन्य पाठ्य पुस्तकें भी प्रकाशित होती रहीं हैं। हिंदी साहित्य के ‘प्रयोगवाद’ के समानान्तर ‘प्रपद्यवाद’ का काव्य आंदोलन प्रवर्तित करने वाले दो कवि एवं साहित्यकार नलिन विलोचन शर्मा और केसरी कुमार यहीं शिक्षक रह चुके हैं। प्रयोगवाद की ही तरह प्रपद्यवाद नई कविता आंदोलन का ध्वजवाहक रहा है। हाल के वर्षों में यहाँ से दो शोध पत्रिकाएँ-1. अंवेशिका (हिंदी विभाग की ओर से प्रकाशित मानविकी संकाय की मुखपत्रिका), 2. शब्दिता (हिंदी विभाग की शोध एवं रचना की पत्रिका) प्रकाशित हुई हैं। यहाँ यू0जी0सी0 सम्पोषित ‘सैप’ के अंतर्गत बिहार के दलित साहित्य विषय पर एक सर्वेक्षणात्मक कार्यक्रम भी चल रहा है। प्रदेश और नगर के भाषा साहित्य के संस्थानों में सहयोगात्मक सहकारी संबंध रखते हए यह विभाग साहित्यिक गतिविधियों में अपनी निरंतर सक्रिय सहभागिता निभाता आया है। विभाग के प्रथम विभागाध्यक्ष प्रोफेसर ईश्वर दत्त थे। विभाग के वर्तमान विभागाध्यक्ष डॉ. तरूण कुमार हैं।



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